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मलिन बस्ती विकास योजना के बारे में

मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित एवं मलिन बस्ती विकास योजना

1. प्रस्तावनाः

देश/प्रदेश के आर्थिक विकास में नगरों का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान ही नहीं अपितु नगर अर्थव्यवस्था के ग्रोथ इंजन होते हैं। इसलिए आवश्यक है कि नगरों का सुनियोजित एकीकृत विकास सुनिश्चित किया जाय। इस क्रम में विभिन्न नगरों में अवस्थित मलिन/अल्पविकसित बस्तियों का सुनियोजित विकास आवश्यक है।

मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजनान्तर्गत वर्ष 2017-18 से अब तक धनराशि रू0 1373.57 करोड़ की 12262 कार्य आधारभूत ढ़ांचे के सापेक्ष स्वीकृत किये जा चके हैं, परन्तु मलिन/अल्पविकसित बस्ती का चिन्हीकरण न होने एवं बस्ती का सुनियोजित एकीकृत विकास करने की कोई योजना न होने के कारण बस्ती को पूर्णतः संतृप्त नही किया जा सका है। इसके कारण सरकार के वित्तीय संशाधनों का प्राथमिकता से उपयोग नही हो सका है। फलस्वरूप नगर स्लम मुक्त नही हो पाए हैं।

अतः मलिन/अल्प विकसित बस्ती का चिन्हीकरण एवं इनका सुनियोजित विकास तथा सरकार के वित्तीय संशाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना शासन की शीर्ष प्राथमिकता है। इसके अतिरिक्त मलिन/अल्पविकसित बस्ती के निवासियों को सरकार के विभिन्न योजनाओं के अभिसरण द्वारा इनकी आजीविका में सुधार एवं उन्हें न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं (बी0एम0एफ0) उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है।

2. मलिन बस्ती की परिभाषा/मानक:

ऐसी बस्तियाँ जहाँ भीड़भाड़, अपर्याप्त आवास, स्वच्छ पानी और स्वच्छता की कमी, खराब बुनियादी ढ़ाँचें और शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसी बुनियादी सेवाओं तक सीमित पहुंच शामिल हो। ऐसी बस्तियों के चिन्हीकरण के निम्न मानक होंगें।

उपरोक्त बस्तियों में से ऐसी बस्तियाँ जिनमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 25 प्रतिशत या उससे अधिक हो मलिन बस्ती की श्रेणी में होंगी।

  • जहाँ एस0सी0/एस0टी0 आबादी 25 प्रतिशत या उससे अधिक हो।
  • प्रतिशत आवास ई0डब्लू0एस0/एल0आई0जी0 हो।
  • 75 प्रतिशत सड़कें 3.75 मी0 से कम चौड़ी हो।
  • कच्ची सड़कें हों या स्थिति जर्जर हो या खराब हो।
  • स्वच्छ पेयजल/स्वच्छता की स्थिति संतोषजनक न हो।
  • घनी बसावट हो।
  • जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न हो।
  • सीवरेज की पर्याप्त व्यवस्था न हो
  • प्रकाश की समुचित व्यवस्था न हो।
3. अल्पविकसित बस्ती की परिभाषा:

ऐसी बस्तियाँ जहाँ अनुसूचित जाति/जनजाति की सीमा लागू नहीं होती है, किन्तु स्थितियाँ मलिन बस्ती जैसी हो।

4. उद्देश्य:
  • मलिन/अल्पविकसित बस्तियों में बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं (बी0एम0एफ0) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • सरकार की विभिन्न योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से रोजगार/आजीविका गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।
  • बस्ती में निवासित लोगों के लिए आर्थिक व समाजिक संरचनाओं का विकास करना।
  • बस्ती को बुनियादी न्यूनतम सुविधाएं (बी0एम0एफ0) से संतृप्त करना।
5. आवश्यकता:

वर्तमान में लागू शासनादेश दिनांक 26.10.2017 द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य कराये जाने में कतिपय कमियाँ परिलक्षित हो रही हैं जिनके निराकरण हेतु वर्तमान ढ़ांचे में निम्न कारणों से संशोधन की आवश्यकता महसूस की जा रही है-

  • बिना जियो टैगिंग के कार्य कराये जाने के कारण कार्य में द्विरावृत्ति/पुनरावृत्ति की सम्भावना बनी रहती है।
  • छोटे-छोटे टुकड़ों में कार्य कराने से बस्ती का समग्र विकास नही हो पाता है।
  • मलिन/अल्पविकसित बस्ती का चिन्हित/सूचीबद्ध न होने के कारण योजनाबद्ध तरीके से काम कराने में बाधा होती है।
  • मौजूदा ढ़ांचा केवल सड़कों और नालियों के उन्नयन की अनुमति प्रदान करता है, जबकि बस्ती के आस-पास स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र, कौशल विकास हेतु विश्वकर्मा भवन, सामुदायिक केन्द्र एवं क्रेच का भी उच्चीकरण एवं स्थान उपलब्ध होने की दशा में निर्माण कराया जाना आवश्यक है।
  • जिला नगरीय विकास अभिकरणों में तकनीकी एवं लेखा सम्बन्धी मानव सम्पदा का अभाव है।
  • बस्ती के निवासियों का डाटाबेस उपलब्ध न होने के कारण बस्ती के निवासियों को सरकार द्वारा संचालित अन्य योजनाओं-यथा उज्ज्वला योजना, आयुष्मान योजना, राशन कार्ड योजना, कौशल विकास योजना एवं अन्य आजिविका सम्वर्धन योजना से लाभान्वित कराये जाने में कठिनाई होती है।
6. दृष्टिकोण (अप्रोच):

चिन्हित बस्तियों के सम्पूर्ण विकास हेतु निम्नवत् दृष्टिकोण होगा-

  • वित्तीय संशाधनों की उपलब्धता के आधार पर जनपदवार ऐसी बस्तियों का चयन किया जायेगा, जिनमें सम्पूर्ण विकास के लिए सबसे कम धनराशि व्यय होगी। उन बस्तियों को एक वर्ष में योजना बनाकर पूर्ण संतृप्त किया जायेगा।
  • सभी बस्तियों के पूर्ण विकास की पंचवर्षीय योजना बनायी जायेगी, जिसमें कार्यों का चिन्हीकरण करते हुए सर्वे के आधार पर प्रत्येक कार्य एवं बस्ती का भारांक निर्धारित किया जायेगा। तदक्रम में कार्य/बस्ती बदतर से बेहतर (Missing Basic Minimum Service) के क्रम में Phase Wise कार्यों एवं बस्तियों का उपलब्ध वित्तीय संशाधनों के क्रम में वर्षवार योजना बनाकर पूर्ण संतृप्त कराया जायेगा।
7. चिन्हीकरण प्रक्रिया- A-मलिन बस्ती, B-अल्प विकसित बस्ती, C-स्कोरिंग एण्ड प्राथमिकता, D-क्रियान्वयन प्रक्रिया, E-योजना, F-तकनीकी का प्रयोग:

स्कोरिंग एण्ड प्राथमिकता: प्रत्येक मलिन बस्ती का निर्धारण निम्नवत् मापदण्डों पर किया जायेगा -

प्रत्येक मलिन/अल्पविकसित बस्ती का सर्वे निर्धारित प्रारूप पर किया जायेगा, जिसमें बस्ती में उपलब्ध आधारभूत सुविधाएं जैसे सड़क, प्रकाश, पेयजल, ड्रेनेज/नाली आदि के आधार पर सड़कों/कार्यों/बस्ती का मूल्यांकन किया जायेगा, जिसके आधार पर कार्य की प्राथमिकता निर्धारित की जायेगी। (प्रारूप संलग्न)

मूल्यांकन अंको के आधार पर किया जायेगा। मूल्यांकन में प्राप्त अंकों के आधार पर मलिन बस्तियों की प्राथमिकता सूची तैयार की जाएगी।

क्रियान्वयन प्रक्रिया

  • मलिन बस्ती/अल्प विकसित की पहचान करना।
  • जीआईएस पर मलिन बस्ती के मानचित्र का डिजिटलीकरण करना
  • शासनादेश के आधार पर मलिन बस्ती को चयनित करना।
  • आवश्यक कार्यों के सूची के साथ एक कार्ययोजना (समग्र दृष्टिकोण) तैयार करना।
  • शहर स्तरीय सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुधार योजना का अनुमोदन एवं शासी निकाय का अनुमोदन।

तकनीकी का प्रयोग

अमृत या अन्य विभागों के द्वारा उपलब्ध जी0आई0एस0 सर्वे का प्रयोग किया जायेगा। शेष स्थानाों पर डूडा व यू0एल0बी0 की टीम द्वारा भौतिक सर्वेक्षण कर नक्शा बनायेगी। ड्रोन तकनीकी के माध्यम से जी0आई0एस0 मैपिंग करके बस्ती की सड़कों एवं अन्य संरचनाओं एवं यथासमय/यथावर्षवार अपडेट करते रहना।

8.चिन्हीकरण/चयन समिति/हित धारकः

अल्पविकसित/मलिन बस्ती के चयन/सीमाकंन हेतु जनपद स्तर पर समिति का गठन जिलाधिकारी/ अध्यक्ष, डूडा की अध्यक्षता में निम्नवत् किया जायेगाः-

क्र.सं. पदनाम सदस्य
1 जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा अध्यक्ष
2 नगर आयुक्त/समस्त अधिशासी अधिकारी सदस्य
3 परियोजना अधिकारी, डूडा सदस्य/सचिव
4 अधिशासी अभियन्ता, आर0ई0एस0/पी0डब्लू0डी0 सदस्य
5 अधिशासी अभियन्ता, जल निगम (नगरीय) सदस्य
6 अधिशासी अभियन्ता, विद्युत सदस्य
7 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य
8 जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य
9 जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य
10 विशेष आमंत्रित सदस्य(मा0 सांसद, मा0 विधायक, मा0 विधान परिषद सदस्य,
मेयर/चेयरमैन, नगर निगम/नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत आदि)
सदस्य
11 जिलाधिकारी द्वारा नामित दो स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि या दो विशेषज्ञ जिनके द्वारा मलिन बस्ती के निवासियों के लिये विशेष कार्य किया गया हो या किया जा रहा हो। सदस्य

उक्त समिति द्वारा मानकों के आधार पर मलिन/अल्पविकसित बस्ती का चिन्हीकरण किया जायेगा एवं सम्बन्धित सूची जनपद की एन0आई0सी0 वेबसाइट एवं सूडा पोर्टल पर अपलोड की जायेगी।

9. तकनीकी समितिः
क्र.सं. पदनाम सदस्य
1 परियोजना निदेशक, डूडा अध्यक्ष
2 समस्त अधिशासी अधिकारी सदस्य
3 परियोजना अधिकारी, डूडा सदस्य/सचिव
4 सम्बन्धित नगर निकाय के सर्वोच्च अभियन्ता सदस्य
5 अधिशासी अभियन्ता, पी0डब्लू0डी0/आर0ई0एस0 सदस्य
6 अधिशासी अभियन्ता, जल निगम(नगरीय) सदस्य
7 अधिशासी अभियन्ता, विद्युत सदस्य
8 अर्बन प्लानर (यदि कोई हो तो) सदस्य

उक्त तकनीकी समिति द्वारा प्राप्त सर्वे रिपोर्ट का मानकों के आधार पर परीक्षण कर आख्या मलिन/ अल्पविकसित बस्ती चिन्हीकरण समिति को उपलब्ध करायी जायेगी।

10. अनुश्रवण समितिः
क्र.सं. पदनाम सदस्य
1 जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा अध्यक्ष
2 परियोजना निदेशक, डूडा सदस्य
3 परियोजना अधिकारी, डूडा सदस्य/सचिव
4 जिलाधिकारी आवश्यकतानुसार अधिशासी/मुख्य अभियन्ता या किसी विभागीय जिलास्तरीय अधिकारी को नामित कर सकते हैं। सदस्य

उक्त समिति द्वारा मासिक रूप से मलिन/अल्पविकसित बस्ती के कार्यों की समीक्षा कर कार्यों में गति लायी जाएगी।

11. अनुश्रवण के बिन्दु:
  • मलिन बस्ती/अल्पविकसित बस्ती का चयन।
  • तकनीकी सर्वे/चिन्हाकन।
  • बस्ती के समग्र विकास के सम्बन्ध में योजना बनाना।
  • कार्यों का मासिक अनुश्रवण।
  • तकनीकी/लेखा सेल का कार्य निष्पादन (तकनीकी सर्वे)।
  • कार्य योजना का अनुश्रवण।
  • डी0पी0आर0 गठन का अनुश्रवण।
  • फन्ड रिलीज के बाद समयबद्ध टेण्डर के कार्य प्रारम्भ कराना।
  • कार्य की गुणवत्ता (कमी है तो उत्तरदायित्व का निर्धारण करना)।
  • द्वितीय किश्त की समयबद्ध मंाग व यू0सी0 प्रेषित कराना।
  • पोर्टल अपडेशन एवं कार्यों का अनुश्रवण तथा एप द्वारा किये जियो फेंसिंग।
12. सुविधाएं/आधारभूत संरचना का विकास:

चयनित बस्ती में निम्नवत् सुविधाओं/अधारभूत संरचना का विकास किया जाएगाः-

  • 3.75 मीटर तक इण्टरलाकिंग सड़क का निर्माण।
  • 3.75 मीटर से अधिक सी0सी0 रोड का निर्माण।
  • नाली/ड्रेनेज निर्माण।
  • बस्ती में पूर्व से स्थापित सामुदायिक केन्द्र, आंगनबाडी, स्वास्थ्य केन्द्र, क्रेच, कौशल विकास हेतु विश्वकर्मा भवन, सरकारी स्कूलों की मरम्मत/उच्चीकरण।
  • सामुदायिक केन्द्र निर्माण।
  • ए0एल0एफ0/सी0एल0एफ0 हेतु कार्यालय एवं शेड का निर्माण।
  • क्रेच का निर्माण।
  • प्रकाश की व्यवस्था।
13. वित्तीय प्रबन्धन/आवंटन/आधार:

शासन द्वारा धनावंटन दो प्रकार से किया जायेगाः-

  • बस्ती के सम्पूर्ण विकास हेतु एकमुश्त धनराशि प्रदान कराना।
  • मलिन/अल्पविकसित बस्तियों को अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से पूर्णरूप से संतृप्त करने हेतु वार्षिक कार्य योजना के आधार पर धनावंटन।
14. शिकायतों का निस्तारण/उत्तरदायित्व निर्धारणः

अनुश्रवण समिति द्वारा निर्माण कार्य से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार शिकायतों की तकनीकी एवं प्रशासनिक जांच कराकर आवश्यक कार्यवाही करते हुये उत्तरदायित्व का निर्धारण करेगी।

15. जनपदीय तकनीकी एवं लेखा सेल:

जनपद स्तर पर सिविल इंजीनियर एवं लेखाकार कम कम्प्यूटर ऑपरेटर की तैनाती की जायेगी, सिविल इंजीनियर (अवर अभियन्ता) द्वारा बस्ती के सर्वे से कार्य की पूर्णता तक समस्त तकनीकी उत्तरदायित्वों का निर्वाहन किया जायेगा, जबकि लेखाकार/कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा अभिलेखों का सम्यक रख-रखाव, पोर्टल अपडेशन एवं आई0ई0सी0 कार्यों का निष्पादन किया जायेगा। उक्त कार्मिकों की नियुक्ति वाह्य सेवा प्रदाता द्वारा नियमानुसार जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा द्वारा किया जायेगा, जिनकी नियुक्ति आदेश सूडा निदेशक द्वारा किया जायेगा।

जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा द्वारा जे0ई0/लेखाकार की नियुक्ति नहीं की जायेगी तब तक सी0एल0टी0सी0 द्वारा कार्यों का सम्पादन किया जायेगा, जिस कार्य हेतु मानदेय दिया जायेगा।

16. प्रशिक्षण/क्षमता संवर्धनः

जनपद स्तर/प्रदेश मुख्यालय स्तर के सभी कार्मिकों को योजना के तकनीकी/प्रशासनिक पक्षों के सम्बन्ध मेेें प्रशिक्षण/क्षमता संवर्धन का कार्य तकनीकी सेवा प्रदाता एवं सूडा के विशेषज्ञों द्वारा किया जायेगा।

17. आई0ई0सी0 गतिविधियाँः

योजना के सम्बन्ध में आई0ई0सी0 कार्य किये जायेंगे, जिसमें बस्ती के निवासियों की जीवन शैली में आये गुणात्मक सुधार के सम्बन्ध में सोशल मीडिया/प्रिन्ट मीडिया द्वारा प्रचार प्रसार किया जायेगा।

18. पोर्टल एवं एप का प्रयोगः

योजनान्तर्गत सर्वे एवं बस्ती का चिन्हांकन से लेकर कार्ययोजना की स्वीकृति, डी0पी0आर0, कार्यों का अनुश्रवण, कार्यों का निरीक्षण, उपयोगिता प्रमाण पत्र, द्वितीय किश्त की मांग एवं कार्यों को पूर्ण कराये जाने के बाद सम्बन्धित नगर निकाय को रख-रखाव हेतु हस्तान्तरित किये जाने की कार्यवाही पोर्टल के माध्यम से की जायेगी।

19. जिलाधिकारी अध्यक्ष, डूडा एंव परियोजना निदेशक की भूमिकाः

जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा एवं परियोजना निदेशक डूडा द्वारा योजनान्तर्गत सर्वे एवं बस्ती का चिन्हांकन से लेकर कार्ययोजना की स्वीकृति, डी0पी0आर0, कार्यों की गुणवत्ता एवं समयबद्धता, उपयोगिता प्रमाण पत्र, द्वितीय किश्त की मांग एवं कार्यों को पूर्ण कराये जाने के बाद सम्बन्धित नगर निकाय को रख-रखाव हेतु हस्तान्तरित किये जाने का अनुश्रवण किया जायेगा।

उक्त कार्मिकों की नियुक्ति वाह्य सेवा प्रदाता द्वारा नियमानुसार जिलाधिकारी/अध्यक्ष, डूडा द्वारा किया जायेगा, जिनकी नियुक्ति आदेश सूडा निदेशक द्वारा किया जायेगा।

20. परियोजना अधिकारी की भूमिकाः
  • सर्वे कराना।
  • मलिन/अल्पविकसित बस्तियों का चयन कराना।
  • कार्ययोजना को शासी निकाय से अनुमोदन कराना एवं तैयार करवाकर मुख्यालय को प्रेषित कराना।
  • कार्यों की समय सीमा में गुणवत्ता के साथ कार्यों को पूर्ण कराना।
  • पोर्टल एवं जियो फेंसिंग अपडेट करवाना।
  • द्वितीय किश्त का प्रस्ताव मुख्यालय को प्रेषित कराना।
  • कार्यों को पूर्ण कराये जाने के बाद सम्बन्धित नगर निकाय को रख-रखाव हेतु हस्तान्तरित कराना।
21. परिसम्पत्ति निर्माण एवं हस्तांतरण व अनुरक्षण:

डूडा द्वारा सृजित परिसम्पत्तियों को 5 वर्ष तक ठेकेदार द्वारा रख-रखाव/अनुरक्षण किया जायेगा। इसके उपरान्त सम्बन्धित नगर पंचायत/नगर पालिका परिषद एवं नगर निगम को नियमानुसार हैण्डओवर किया जाना, जिसका सुव्यस्थित अभिलेखीकरण/ डिजिटाइलेशन किया जाना।

22. यू0एल0बी0 की भूमिकाः

सर्वे में सहयोग करना, बस्तियों के चिन्हीकरण में सहयोग करना, परिसम्पत्तियों की प्राप्ति एवं रख-रखाव।

23. सूडा की भूमिका-पी0एम0यू0 का गठन:
  • योजनान्तर्गत कार्यों का मासिक अनुश्रवण हेतु पी0एम0यू0 का गठन किया जायेगा। पी0एम0यू0 इस योजना के समस्त चरणों का अनुश्रवण करेगा।
  • पी0एम0यू0 में 2 सहायक अभियन्ता, 4 अवर अभियन्ता, 2 पोर्टल विशेषज्ञ एवं 2 आई0ई0सी0 विशेषज्ञ रखे जायेंगें, जो अपने दायित्वों का निर्वाहन करेंगें।
  • सूडा के पी0एम0यू0 विशेषज्ञों एवं जिला स्तरीय तकनीकी/लेखा सेल के कार्मिकों की वाह्य सेवा प्रदाता से नियमानुसार नियुक्ति।
24. शासन की भूमिका:

मासिक, त्रैमासिक समीक्षा करना।

25. अवधारणा/संतृप्त बस्ती:

मलिन/अल्पविकसित बस्ती के भौतिक आधारभूत ढ़ाचे/सुविधाओं का विकास योजना का लक्ष्य है। इसके अन्तर्गत बस्ती की आधारभूत सुविधाओं के पूर्ण विकास के साथ भारत/प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से बस्ती के निवासियों के रोजगार/आजीविका में वृद्धि किया जाना है, जैसे कि बस्ती की महिलाओं के एस0एच0जी0/ ए0एल0एफ0/सी0एल0एफ0 बनाना, एस0ई0पी0 के अन्तर्गत किफायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना, स्ट्रीट वेण्डर्स को ऋण दिलवाना आदि ऐसे प्रयास किये जायें, जिससे व्यक्तियों की आर्थिक उन्नति हो सके एवं बस्ती को ‘‘संतृप्त बस्ती‘‘ घोषित किया जा सके।

26. प्रशासनिक व्यय:

वित्तीय वर्ष 2024-25 में योजना हेतु आवन्टित धनराशि से 2 प्रतिशत की धनराशि प्रशासनिक व्यय हेतु रखी जायेगी। इसके बाद के वर्षों में यह धनराशि एक प्रतिशत होगी। इसमें से निम्नवत् व्यय किया जा सकेगा।

  • वर्ष 2024-25 में एक प्रतिशत की धनराशि बस्तियों/कार्यों की जी0आई0एस0 मैपिंग हेतु व्यय की जायेगी। इसके लिए नियमानुसार टेण्डर निकालकर फर्म आदि का चयन किया जायेगा।
  • इस धनराशि का व्यय जनपदीय तकनीकी/लेखा सेल एवं सूडा के पी0एम0यू0 पर प्रतिवर्ष पारिश्रमिक हेतु, क्षमता संवर्धन/प्रशिक्षण तथा आई0ई0सी0 गतिविधियों आदि हेतु किया जायेगा।